Jay Jinendra!

BJMM-Surat Welcomes you!

Introducing:

BALOTRA JAIN MITRA MANDAL


BJMMS - BALOTRA JAIN MITRA MANDAL-SURAT Welcomes you!

जैन धर्म

  • इतिहास
    जैन धर्म कितना प्राचीन है, ठीक ठीक नहीं कहा जा सकता। महावीर स्वामी या वर्धमान ने ईसा से ४६८ वर्ष पूर्व निर्वाण प्राप्त किया था। इसी समय से पीछे कुछ लोग विशेषकर यूरोपियन विद्वान् जैन धर्म का प्रचलित होना मानते हैं। जैनों ने अपने ग्रंथों को आगम, पुराण आदि में विभक्त किया है।
  • सम्प्रदाय
    तीर्थंकर महावीर के समय तक अविछिन्न रही जैन परंपरा ईसा की तीसरी सदी में दो भागों में विभक्त हो गयी : दिगंबर और श्वेताम्बर। मुनि प्रमाणसागर जी ने जैनों के इस विभाजन पर अपनी रचना 'जैनधर्म और दर्शन' में विस्तार से लिखा है कि आचार्य भद्रबाहु ने अपने ज्ञान के बल पर जान लिया था कि उत्तर भारत में १२ वर्ष का भयंकर अकाल पड़ने वाला है इसलिए उन्होंने सभी साधुओं को निर्देश दिया कि इस भयानक अकाल से बचने के लिए दक्षिण भारत की ओर विहार करना चाहिए। आचार्य भद्रबाहु के साथ हजारों जैन मुनि (निर्ग्रन्थ) दक्षिण की ओर वर्तमान के तमिलनाडु और कर्नाटक की ओर प्रस्थान कर गए और अपनी साधना में लगे रहे। परन्तु कुछ जैन साधु उत्तर भारत में ही रुक गए थे। अकाल के कारण यहाँ रुके हुए साधुओं का निर्वाह आगमानुरूप नहीं हो पा रहा था इसलिए उन्होंने अपनी कई क्रियाएँ शिथिल कर लीं, जैसे कटि वस्त्र धारण करना, ७ घरों से भिक्षा ग्रहण करना, १४ उपकरण साथ में रखना आदि। १२ वर्ष बाद दक्षिण से लौट कर आये साधुओं ने ये सब देखा तो उन्होंने यहाँ रह रहे साधुओं को समझाया कि आप लोग पुनः तीर्थंकर महावीर की परम्परा को अपना लें पर साधु राजी नहीं हुए और तब जैन धर्म में दिगंबर और श्वेताम्बर दो सम्प्रदाय बन गए।
  • त्यौहार
    • महावीर जयंती
    • पर्युषण
  • राष्ट्र के लिए योगदान
    आँकड़ों के अनुसार जैन यकीनन भारत के सबसे सफल, शिक्षित और समृद्ध लोग हैं, वे 5 मिलियन से कम हैं जो भारतीय आबादी के .5% से कम है और भारत के कुल आयकर संग्रह में 24% का योगदान करते हैं।

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